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वे अच्छे-अच्छों के भी दुम उगा के छोड़ेंगे / अशोक अंजुम

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वे अच्छे-अच्छों के भी दुम उगा के छोड़ेंगे!
सारे स्टाफ को चमचा बना के छोड़ेंगे!

आप कहते हो यहाँ ऊपरी कमाई नहीं,
हमको आने तो दो रस्ता बना के छोड़ेंगे।

यूँ तो खादी में लग रहे हैं वे भलेमानुष,
पर यही देश को कच्चा चबा के छोड़ेंगे।

तैरना सीख ले, वरना ये खिवइया तेरे,
बीच मझधार में तुझको डुबा के छोड़ेंगे।

भाग ले, भाग ले, शायर जी आ रहे हैं इधर,
जो गया दीख सौ ग़ज़लें सुना के छोड़ेंगे।