भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वे कवि हैं / श्रीप्रकाश मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वे कवि हैं
वसन्त का मौसम
उन्हें काट खाता है

वे परिवर्तन के कवि हैं
पतझर उन्हें सटीक लगता है

बरसात भले ही साथ देती हो
नवांकुरों का
वह रस की याद दिलाती है
जो गुज़रे ज़माने की बात है

और शीत तो पाट देती है
चमकीले जलदानों से चराचर
इतने सौन्दर्य की जगह
अब कहाँ कविता में

वे कवि हैं परिवर्तन के
उन्हें चाहिए तेज़ बयार
जो पात-पात झार दे
ब्रह्माण्ड
उन्हें सब तरह से
और सब तरफ़ से
सिर्फ़ नया करना है
ठूँठ पर ठूँठ पर ठूँठ