वे कहते हैं
स्त्री घड़े के भीतर का
ठहरा पानी है
स्पर्श -मात्र से
हो जाती है अपवित्र
पुरूष बर्फ का टुकड़ा
जितना घुलता है
निखरता है
तो क्या पानी से बरफ़
बरफ़ से पानी नहीं बनता है?
वे कहते हैं
स्त्री घड़े के भीतर का
ठहरा पानी है
स्पर्श -मात्र से
हो जाती है अपवित्र
पुरूष बर्फ का टुकड़ा
जितना घुलता है
निखरता है
तो क्या पानी से बरफ़
बरफ़ से पानी नहीं बनता है?