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वे बच्चे हैं / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
जो शैतानी करते हैं,
वे बच्चे हैं।
जो थोड़े-से डरते हैं,
वे बच्चे हैं।
जो जिद लिए मचलते हैं,
वे बच्चे हैं।
उँगली थामे चलते हैं,
वे बच्चे हैं।
जो, ‘चज्जी दो’ कहते हैं,
वे बच्चे हैं।
मन मसोस जो रहते हैं,
वे बच्चे हैं।
जो रोकर मुस्काते हैं,
वे बच्चे हैं।
जो सबके बन जाते हैं,
वे बच्चे हैं।