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वे राहें, वे रेलवे स्टेशन / अमरजीत चंदन
Kavita Kosh से
मुझे वे राहें, वे रेलवे स्टेशन
बस अड्डे और हवाई अड्डे
बिल्कुल अच्छे नहीं लगते
जहाँ सज्जन बिछुड़ जाते हैं
फिर कभी नहीं आते
मुझे उन राहों, उन रेलवे स्टेशनों
बस अड्डों और हवाई अड्डों से
बहुत मोह है
जहाँ सज्जन आन मिलते हैं
फिर कभी नहीं जाते
मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद :