वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली / पंजाबी
- अंगिका लोकगीत
 - अवधी लोकगीत
 - कन्नौजी लोकगीत
 - कश्मीरी लोकगीत
 - कोरकू लोकगीत
 - कुमाँऊनी लोकगीत
 - खड़ी बोली लोकगीत
 - गढ़वाली लोकगीत
 - गुजराती लोकगीत
 - गोंड लोकगीत
 - छत्तीसगढ़ी लोकगीत
 - निमाड़ी लोकगीत
 - पंजाबी लोकगीत
 - पँवारी लोकगीत
 - बघेली लोकगीत
 - बाँगरू लोकगीत
 - बांग्ला लोकगीत
 - बुन्देली लोकगीत
 - बैगा लोकगीत
 - ब्रजभाषा लोकगीत
 - भदावरी लोकगीत
 - भील लोकगीत
 - भोजपुरी लोकगीत
 - मगही लोकगीत
 - मराठी लोकगीत
 - माड़िया लोकगीत
 - मालवी लोकगीत
 - मैथिली लोकगीत
 - राजस्थानी लोकगीत
 - संथाली लोकगीत
 - संस्कृत लोकगीत
 - हरियाणवी लोकगीत
 - हिन्दी लोकगीत
 - हिमाचली लोकगीत
 
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली । 
 
कीता मुड़के पाणी पाणी, 
भिज गया मेरा सूट जापानी,
पिघले गर्मी नाल जवानी, 
मखणा नाल जो पाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
 
रंग मेरा जिवें अंब सिन्दूरी,
कूले हथ्थ जिओं घ्यो दी चूरी,
फूँक भरा ए पख्खा खजूरी, 
तलियां दी जड़ गाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली । 
 
रूप मेरे दा जे लैणा नज़ारा, 
सुण वे पिंड देया लम्बड़दारा, 
मन्न लै आखा ना ला लारा, 
कहन्दीऊ हीर सियाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली । 
बिजली दे पख्खेयाँ लाईयां बहारां, 
सुखी शहर दियाँ सब मुटियारां, 
झल्लन पखियाँ पिंड दीआं नारां, 
आये न बिजली हाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
	
	