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वे हर दिल से प्यार मिटा कर मानेंगे / विनोद तिवारी

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वे हर दिल से प्यार मिटा कर मानेंगे
ख़ुशियों भरा संसार मिटा कर मानेंगे

बनते हैं वे धर्म धुरीणों के अगुआ
लेकिन धर्माचार मिटा कर मानेंगे

आपस में लड़वा कर बस्ती वालों
सदियों का व्यवहार मिटा कर मानेंगे


भाव संकुचित और बहुत ओछा चिंतन
जनमन का विस्तार मिटा कर मानेंगे

ये दंगाई घृणित लुटेरे हत्यारे
इंसानी किरदार मिटा कर मानेंगे

घर के रखवालो गफ़लत से जाग उठो
वर्ना वे घर-द्वार मिटा कर मानेंगे