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वे / कौशल किशोर
Kavita Kosh से
वे मारते हैं
वे सच को मारते हैं
वे मारते हैं
वे विचार को मारते हैं
सच और विचार
दोनों रहता है
आदमी के भीतर
इन्हें मारने के बाद
उनके लिए बड़े काम का है
यह आदमी!