भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वैज्ञानिक नजर / रणवीर सिंह दहिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वैज्ञानिक नज़र के दम पै ज़िन्दगी नै समार लिये॥
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये॥
1
सादा रैहणा ऊँचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो
मानवता की धूम मैच चाहिए इसा संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो
धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै प्रचार किये॥
2
साच बोलणा चाहिए पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिए मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग़ तै कामल्याँ चाहिए दिल समझाणा रै
गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै
जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये॥
3
इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिए मोल घटाणा
सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा
लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिए धमकाणा
मारकाट की ज़िन्दगी तै ईब चाहिए पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये॥
4
दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा
जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिए इसा क़दम उठाणा
ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिए इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा
शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सब डार दिये॥