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वैसे तो चाहने से यहाँ क्या नहीं होता! / गुलाब खंडेलवाल


वैसे तो चाहने से यहाँ क्या नहीं होता!
बस आपकी नज़र का इशारा नहीं होता

सोया किसीके रेशमी आँचल की छाँह में
बीमार है अच्छा कि जो अच्छा नहीं होता

सुनता हूँ दिल में और भी एक दिल की धड़कनें
मैं होके अकेला भी अकेला नहीं होता

थे आप और आपकी दुनिया भी थी, मगर
होता नहीं जो मैं, ये तमाशा नहीं होता

आकर कभी जो देख भी लेते गुलाब को
रंग उनका इस तरह कभी फीका नहीं होता