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वो और उसकी कविता / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
बेचारी औरत का दर्द
दुनिया के सामने रखने की ख़ातिर
एक कविता लिखनी थी
अपनी तसव्वुर से
सहूलियत के मुताबिक
करीने से बनाई
बेचारी औरत की तस्वीर
एक ज़बरदस्त कविता बनी
और मेरी ओर देखते हुए
मुस्कराने लगी