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वो कर लें हम पे अगर इक नज़र सलीके से / नफ़ीस परवेज़
Kavita Kosh से
वो कर लें हम पर अगर इक नज़र सलीके से
गुज़ार लेंगे ये हम भी सफ़र सलीके से
न जाने उनसे मुलाक़ात फिरके हो कि न हो
सो देख तो लें उन्हें आँख भर सलीके से
बिना करार के हमको मिला था एक मकाँ
उसे सजाया किये उम्र भर सलीके से
ये माना रात गुज़ारी है हमने आँखों में
मगर यकीं है कि होगी सहर सलीके से
हमारी बात का भी कुछ असर तभी होगा
कहेंगे हम भी ज़रा कुछ अगर सलीके से