भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वो कहती तो / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
वो कहती तो मैं उठता हूँ
वो कहती तो सोता,
दफ्तर का हर काम, उसी की
मर्जी से है होता।
टन-टन घंटा ले आई है
वह तो चौकीदार,
बिना कहे जो कर देता है
सबको होशियार।
समय उसी के कब्जे में है
ऐसी ताकत वाली,
रंग बदलती रहती भैया
धौली, पीली, काली।
झटपट उसका नाम बताओ
बढ़िया रखा इनाम,
नहीं बताओगे तो बुद्धू
रख देंगे हम नाम।