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वो कुछ इस तरह चाहता है मुझे / शीन काफ़ निज़ाम
Kavita Kosh से
वो कुछ इस तरह चाहता है मुझे
अपने जैसा बना दिया है मुझे
इस तरह उस ने ख़त लिखा है मुझे
जैसे दिल से भुला चूका है मुझे
गर नहीं चाहता तो पिछले पहर
क्यूँ दुआओं में मांगता है मुझे
जिस प' फलते नहीं दुआ के पेड़
उस ज़मीं से पुकारता है मुझे
तख्लिये में न जाने कितनी बार
लिखते-लिखते मिटा चुका है मुझे
लम्हा-लम्हा उगाने की धुन में
क़तरा-क़तरा डूबा रहा है मुझे
वास्ता दे के मौसिमों का 'निज़ाम'
वो दरख्तों से माँगता है मुझे