Last modified on 1 सितम्बर 2013, at 13:03

वो खफा है तो कोई बात नहीं / ख़ुमार बाराबंकवी

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

वो खफा है तो कोई बात नहीं
इश्क मोहताज-ए-इल्त्फाक नहीं

दिल बुझा हो अगर तो दिन भी है रात नहीं
दिन हो रोशन तो रात रात नहीं

दिल-ए-साकी मैं तोड़ू-ए-वाइल
जा मुझे ख्वाइश-ए-नजात नहीं

ऐसी भूली है कायनात मुझे
जैसे मैं जिस्ब-ए-कायनात नहीं

पीर की बस्ती जा रही है मगर
सबको ये वहम है कि रात नहीं

मेरे लायक नहीं हयात "ख़ुमार"
और मैं लायक-ए-हयात नहीं