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वो जलवा तूर पर जो दिखाया न जा सका / 'वासिफ़' देहलवी
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वो जलवा तूर पर जो दिखाया न जा सका
आख़िर यही हुआ कि छुपाया न जा सका
आते ही उन के दश्त ओ जबल मुस्कुरा उठे
ऐसे में अपना हाल सुनाया न जा सका
गर्दूं भी इजि़्तराब-ए-अज़ीज़ाँ से हिल गया
सोए कुछ ऐसे हम कि जगाया न जा सका
दामन के दाग़ अश्क-ए-निदामत ने धो दिए
लेकिन ये दिल का दाग़ मिटाया न जा सका
कितनी घटाएँ आईं बरस कर गुज़र गईं
शोला हमारे दिल का बुझाया न जा सका
बातें हज़ार यूँ तो हरीफ़ों की छुप गईं
‘वासिफ़’ का राज़ था जो छुपाया न जा सका