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वो ज़िद पे उतर आते हैं अक्सर औक़ात / जाँ निसार अख़्तर
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वो ज़िद पे उतर आते हैं अक्सर औक़ात
हर चीज पे वह बहस करेंगे मेरे साथ
हरगिज़ वो न मानेंगे जो मैं चाहूँगी
लेकिन जो मैं चाहूँगी करेंगे वही बात