भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वो जिनके पास क़िस्मत की हसीं सौगात होती है / शोभना 'श्याम'
Kavita Kosh से
वो जिनके पास क़िस्मत की हसीं सौगात होती है
वो जब चाहे तभी तो दिन तभी तो रात होती है
कहाँ बसती हैं वह बस्ती जहाँ पर प्यार बसता है
यहाँ तो मुस्कुराने में छिपी इक घात होती है
सफर में ज़िन्दगी के हमसफ़र तो रोज़ मिलते है
सभी में दिल लुभाने की कहाँ वह बात होती है
ये क्या तूने अजब दुनिया बनाई है खुदा मेरे
जो शह देते हैं नेकी को उन्ही की मात होती है
बड़े विश्वास से दादी सुखा आई बढ़ी-पापड़
अगर जो श्याम हो बादल नहीं बरसात होती है