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वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी / जयकृष्ण राय तुषार
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नए घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो,
दिया बनकर वहीं से माँ हमेशा रोशनी देगी ।
ये सूखी घास अपने लान की काटो न तुम, भाई !
पिता की याद आएगी तो ये फिर से नमी देगी ।
फरक लड़के औ’ लड़की में है बस महसूस करने का,
वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चाँदनी देगी ।
ये माँ से भी अधिक उजली इसे मलबा न होने दो,
ये गंगा है यही दुनिया को फिर से ज़िंदगी देगी ।।