वो नहीं है
सिर्फ उसके नाम का
छलावा है
पत्थरों में कैद
भगवान नहीं होते
कण कण में विराजमान है
तो इतने शोषण अत्याचार नहीं होते
वो नहीं है
वो हो ही नहीं सकता
और अगर वह है
तो ऐसे धृतराष्ट्र की
सत्ता
मै
स्वीकार नहीं करता।
वो नहीं है
सिर्फ उसके नाम का
छलावा है
पत्थरों में कैद
भगवान नहीं होते
कण कण में विराजमान है
तो इतने शोषण अत्याचार नहीं होते
वो नहीं है
वो हो ही नहीं सकता
और अगर वह है
तो ऐसे धृतराष्ट्र की
सत्ता
मै
स्वीकार नहीं करता।