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वो नही है / अरविन्द भारती
Kavita Kosh से
वो नहीं है
सिर्फ उसके नाम का
छलावा है
पत्थरों में कैद
भगवान नहीं होते
कण कण में विराजमान है
तो इतने शोषण अत्याचार नहीं होते
वो नहीं है
वो हो ही नहीं सकता
और अगर वह है
तो ऐसे धृतराष्ट्र की
सत्ता
मै
स्वीकार नहीं करता।