भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वो बनना चाहेगा / रोबेर्तो फ़ेर्नान्दिस रेतामार / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
यह सुकुमार कवि
कमाण्डर बनना चाहेगा
वो दार्शनिक तो क्या बनेगा
वो राजनीतिक नेता तो क्या बनेगा
जो मेज़ की दराज़ में बन्द रखता है
वे कविताएँ, जो वो रात को लिखता है ।
(जाहिर है कि उनमें से एक कविता चे ग्वेवारा को पसन्द आई थी)
स्पानी से अनुवाद : अनिल जनविजय
और लीजिए, अब यही कविता मूल स्पानी में पढ़िए
Roberto Fernández Retamar
Querria Ser
Este poeta delicado
Querría ser aquel comandante
Que querría ser aquel filósofo
Que querría ser aquel dirigente
Que guarda en una gaveta con llave
Los versos que escribe de noche.