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वो बेहिसाब जो पी के कल शराब आया / ज़फ़र

वो बेहिसाब जो पी के कल शराब आया
अगर्चे मस्त था मैं पर मुझे हिजाब आया

इधर ख़्याल मेरे दिल में ज़ुल्फ़ का गुज़रा
उधर वो खाता हुआ दिल में पेच-ओ-ताब आया

ख़्याल किस का समाया है दीदा-ओ-दिल में
न दिल को चैन मुझे और न शब को ख़्वाब आया