भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वो मेरा चेहरा न हुआ / विज्ञान व्रत
Kavita Kosh से
वो मेरा चेहरा न हुआ
मैं भी शर्मिंदा न हुआ
मैं उसका हिस्सा न हुआ
मुझको ये धोखा न हुआ
सब उसका सोचा न हुआ
वो मेरा रस्ता न हुआ
मैं उसकी भाषा न हुआ
तो मेरा चर्चा न हुआ
होने को क्या क्या न हुआ
मैं ही बस अपना न हुआ