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वो मेरे पास है क्या पास बुलाऊँ उसको / शहजाद अहमद

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वो मेरे पास है क्या पास बुलाऊँ उसको
दिल में रहता है कहाँ ढूंढने जाऊँ उसको

आज फिर पहली मुलाकात से आगाज़ करूँ
आज फिर दूर से ही देखकर आऊँ उसको

चलना चाहे तो रखे पाँव मेरे सीने पर
बैठना चाहे तो आँखों पे बिठाऊँ उसको

वो मुझे इतना सुबुक इतना सुबुक लगता है
कभी गिर जाये तो पलकों से उठाऊँ उसको

सुबुक=नाज़ुक