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वो रुलाकर हँस न पाया देर तक / नवाज़ देवबंदी
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वो रुलाकर हँस न पाया देर तक
जब मैं रोकर मुस्कुराया देर तक
भूलना चाहा अगर उस को कभी
और भी वो याद आया देर तक
भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये
माँ ने फिर पानी पकाया देर तक
गुनगुनाता जा रहा था इक फ़क़ीर
धूप रहती है ना साया देर तक