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वो समंदर है तो होने दीजिए / डी. एम. मिश्र
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वो समंदर है तो होने दीजिए
सीप ही काफ़ी है मोती के लिए।
इन हवाओं का भरोसा है कोई
रूख़ दिशाओं का किधर है देखिये।
छोड़िये माज़ी के सब रस्मो रिवाज
वक़्त के हमराह चलना सीखिए।
कौन पीतल औेर सोना कौन है
गर न वाकिफ़़ जौहरी फिर किसलिए।
मत ग़लत तालीम दो बच्चों को इन
मत सिखाओ , झूठ की जय बोलिए।
जंगलों में रोशनी करने चले
जुगनुओं का हौसला भी देखिए।