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वो सुबह / राजेश कमल
Kavita Kosh से
मैं नहीं जानता कब आएगी वह सुबह
जो दरसल सुबह जैसी होगी
दिल के दौरे नहीं आएँगे
चाय की प्याली आएगी
दोस्तों के फ़ोन आएँगे
और फ़ोन पर बातें होंगी आनेवाले प्रेमपत्रों के बारे में
फ़ोन पर बातें होंगी उन दुश्मनों के बारे में
जो कभी दोस्त थे
जब शब्दकोश में सुख का विलोम भी सुख होगा
जब नहीं होगा सांपों को विष
और कुत्ते को दुम
और
जब दवा की दुकानों में नींद की गोलियों की जगह
मिलेंगे समोसे