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वो हम नहीं जो करें सैरे-बोस्ताँ तनहा / सौदा
Kavita Kosh से
वो हम नहीं जो करें सैरे-बोस्ताँ1 तनहा
बहिश्त हो तो न मुँह कीजे बाग़बाँ, तनहा
किधर को छोड़ गए मुझको हमरहाँ2 तनहा
फिरूँ हूँ दश्त3 में जूँ-गर्दे-कारवाँ4 तनहा
अगरचे तुमको न छोड़ेंगे बदगुमाँ तनहा
करो जो बंदानवाज़ी तो मेहरबाँ तनहा
हुआ ये दिल सफ़े-मिज़गाँ5 के रू-ब-रू हैहात6
हैं नेज़ाबार7 उधर इतने, ये जवाँ तनहा
ख़बर ले हाल से मजनूँ के साहिबे-महमिल8
करे है आज जरस9 नाल-ओ-फ़ुग़ाँ10 तनहा
अकेले आने की ऐसे कोई नहीं तक़रीब11
कहो कि जाऊँ हूँ मैं बह्रे-इम्तिहाँ12 तनहा
शब्दार्थ:
1. उपवन की सैर, 2. हमराहियों, 3. रेगिस्तान, 4. कारवाँ के गर्द की तरह, 5. भवों की कतार, 6. हाय-हाय, 7. नेज़ा चलानेवाले, 8. महमिल वाले(लैला), 9.घंटा, 10. आर्तनाद, 11. उपाय, 12. परीक्षा के लिए