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व्यस्तता / लोकमित्र गौतम

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हमने बार बार वायदे करके मिलना टाला
मोबाइल में मैसेज देखकर भी उन्हें पढना टाला
फ़ोन की घंटियों को या तो अनसुना कर दिया
या म्यूट कर दिया
आखिर क्यों न करते ये सब
व्यस्त जो थे हम
इतने
कि संयोग से भी टकरा गए
तो भी एक दूसरे को छुआ तक नहीं
यहाँ तक कि
कई बार तो देखा तक नहीं
व्यस्तता ने हमें
अजनबी बना दिया
गूंगा, बहरा और अंधा बना दिया
लेकिन तुम अब फिक्र न करो
मैंने ढूंढ़ निकाला है
उस साजिश का बुनियादी सिरा
जिसे व्यस्तता कहते हैं
जो हमें कुछ खास हुए बिना भी
व्यस्त रखती है
जो हमें कभी
बेमतलब नहीं होने देती
हमेशा मतलब के कोल्हू में
नाधे रखती है
बिना किसी वजह के
बिना किसी नतीजे के भी ...
पहले मैं सोचता था कि ये हैसियत है
जो हमारी तुम्हारी मुहब्बत के बीच
एक दीवार है
लेकिन अब समझा
हैसियत नहीं ये व्यस्तता है
जो मुझको
तुम्हे भरपूर निहारने नहीं देती
जो मुझको
तुम्हारी जुल्फों में अपनी अंगुलियाँ उलझाने का
नशीला खेल नहीं खेलने देती
जो मुझको
तुम्हारी भीनी भीनी खुश्बू
नहीं महसूसने देती
लेकिन अब मैंने जिंदगी कि ज़रखेज़ ज़मीन में
गहरे तक धंसी
व्यस्तता की ज़हरीली जड़ों को
पहचान लिया है
और देखना
जल्द ही इन्हें उखाड़ फेंकूंगा
फिर हम
खूब सारी बातें करेंगे
मतलब की भी
बेमतलब की भी
हम बातें करेंगे
नए फसल की आलू जैसे रंग वाले
तुम्हारे उस टाप की
जिसमे तुम मुझे पहली बार
इतनी खुबसूरत लगी थी
की मुझे सूझ ही नहीं रहा था
तुम्हे कहूं क्या?
हम बातें करेंगे
कि तुमपे खुले बाल अच्छे लगते हैं
या पोनीटेल
हम बातें करेंगे
कि जिन्दगी में हर एक दोस्त जरूरी होता है
या कारोबार में हर एक ग्राहक
हम बातें करेंगे
कि सपनो कि माँ कौन है?
किताब या कल्पना
हम दुनिया की मंदी के बारे में परेशान नहीं होंगे
गो की फिक्र करेंगे
मगर हम दुबले नहीं होंगे
कि शांति का नोबेल पुरस्कार
अमरीका के राष्ट्रपति को क्यूँ दिया गया
हालाँकि हम नहीं चाहेंगे कि ऐसा हो
इस बिना पर भी नहीं कि हमें पता नहीं था
हम ध्यान रखेंगे कि जो अमरीका
दुनिया कि दो तिहाई अशांति का कारण है
उसके अगुआ को
विश्व का अग्रज शांतिदूत न कहा जाये
यह शांतिदूतों का ही नहीं शांतिकामना का भी अपमान है
मगर हम ध्यान रखेंगे
कि इस सबमे हम खुद को इतना व्यस्त न कर लें
कि हमें मौका ही न मिले
कभी अपनी ही धडकनों को सुनने का
अपनी ही सांसों में घुले गीत गुनगुनाने का
तुम्हारे टिफिन के पराठों और ढ़ाबे क़ी रोटियों में
फर्क करने का
व्यस्तता को नकारने के लिए
व्यस्तता क़ी अनसुनी करने के लिए
उन किस्सों को हम बार बार छेड़ेंगे, जिन्हें सपनों में बुदबुदातें हैं
जिन्हें हम ख्वाहिशों में दोहरातें हैं
मगर जागने पर बेजुबान हो जाते हैं
क्योंकि जागते ही हम व्यस्त हो जाते हैं
तुम देखना
एक बार मैं इस व्यस्तता कि जड़ों को खोद डालूँ
फिर हम क्या नहीं करेंगे?
हम बातें करेंगे
फूलों की
रंगों की
नगमों की
बेमौसम बारिश की
तुम्हारी बिखरी लटों की
चोकलेट के उस टुकड़े की
जो तुमने मुझे अपने होठों से दिया था
जिसके सही सही स्वाद
मैं कभी नहीं लिख पाऊंगा
हम बातें करेंगे उस लड़ाई की
जिसे लड़ते हुए भी हम जान रहे थे कि ये नकली है
मगर जिसे असली जताने के लिए लड़ रहे थे
हम बातें करेंगे
उस रिश्ते की जो कभी होना ही नहीं
हम बातें करेंगे
उस कल की जो हमारी सुरमई कल्पनाओं में है
पूरी रात गुजर जाएगी
मगर हमारी बातें ख़त्म नहीं होंगी
तब कोई भी व्यस्तता हमारी चाहत के आड़े नहीं आएगी
हमारा दिल और दिमाग हरगिज उसका बोझा नहीं ढोयेगा
न ही वह
हमारी कामयाबी का सौन्दर्यबोध होगी
क्योंकि हम जानतें हैं व्यस्तता दोधारी तलवार है
यह अगर कीमत देती है
तो दो गुना कीमत लेती भी है
कारखाना युग में जन्मी व्यस्तता
इस सूचना युग में पैमाना बन गई है
हमारी सफलता का
हमारी हैसियत का
जो कहती है अगर आप व्यस्त नहीं हैं
तो आपकी कीमत नहीं है
मगर जरा सोचिये अगर आप हमेशा व्यस्त हैं
तो आपकी किसी भी कीमत की आखिर क्या कीमत है?
मैंने व्यस्तता के साथ एक लम्बा अरसा गुजारा है
उसे गहराई से जाना है
...और जानकर इस नतीजे पर पहुंचा हूँ
कि व्यस्तता हमारी जिन्दगी के महाभारत का
एक चक्रब्यूह है
जिसके एक भी दरवाजे का तोड़
अभिमन्यु की छोड़िये
किसी अर्जुन के पास भी नहीं है
इसे हर दौर के द्रोणाचार्य
कुशलता, कायरता और काइयाँपन की सभी ताकतों को
मिलाकर बनातें हैं
ताकि जब भी इसमें घुसे कोई मासूम अभिमन्यु
 कभी बाहर न निकल सके
मगर
मैं तुमसे वायदा करता हूँ
एक दिन मैं अपनी तमाम व्यस्तताओं को कुचलकर
रिसाईक्लिंग मशीन में डाल दूंगा
फिर उससे उड़ने के लिए दो चमचमाते पंख बनाऊंगा
जिनमें तुम्हे बिठाकर
इन्द्रधनुषी आसमान की ओर उड़ जाऊंगा
दूर गगन में
जहाँ कोई भी व्यस्तता हमारा पीछा नहीं कर सकती
तब मैं पूरी फुरसत में तुम्हे निहारूंगा
तुम्हें महावर और आलता लगाते देखूंगा
तुम्हें गुगुनाते हुए पुरसुकून सुनूंगा
तब मै व्यस्त नहीं होऊंगा