भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
व्यस्त होना / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
आज किसी को
कोई
आवाज नहीं देता
संदेशों के दौर में
सब अपनी दुनिया में व्यस्त है
कुछ बहुत ज्यादा
कुछ थोडे़ से ज्यादा
तुम कितने व्यस्त हो
मैं नहीं जानता
पर
यह भी ठीक नहीं हमेशा
कि
तुम नंबर मिलाओ
और
मैं जवाब दूं