व्यास होय लेॅ पड़तै / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
व्यास कोय आदमी नै
व्यास एक लकीर छेकै
एक एैन्होॅ लक्ष्मण रेखा
जेकरा आदमी खीचै छै
.......... आरो व्यास होय जाय छै।
व्यास एक प्रतीक छेकै,
व्यास एक मीथक छेकै,
जेकरा में तप, त्याग आरो पुरूशार्थ होय छै
ऊ व्यास होय जाय छै।
साथी ! हमरा जरूरे व्यास होय लेॅ पड़तै
हम्में तोंय कहिया व्यास होभेॅ ?
याद राखोॅ
बिना व्यास होलें हम्में सिनी भारत केॅ
नै देखें सकवै, नै पहचानें पारबै
महाभारत व्यास रोॅ/विश्वमानव लेली
सबसें बड़ोॅ अनुपम सृश्टि छेकै
जरा देखोॅ तेॅ
हर आदमी के भीतर
महाभारत छिड़लोॅ छै की नै ?
कौरव-पांडव सब ओकरा भीतर छै
तोरोॅ अच्छाई, तोरोॅ विवेक ही तेॅ कृश्ण छेकै
तोरोॅ सत्य, न्याय के प्रति निश्ठा युधिश्ठिर
अन्याय रो खिलाफ खाड़ोॅ पुरूशार्थ भीम, अर्जुन आरो भ्रश्ट आचरण रो प्रतीक कौरव दल
दुर्योधन, दुश्शासन, शकुनी सबके सभ्भे
आदमी के भीतर ही तेॅ छै
वें जखनी जैन्होॅ आचरण करै छै
ऊ रूप छहाछत प्रकट होय जाय छै।
ऐ हमरोॅ देशवासी !
ऐ हमरोॅ देशोॅ के टटका छवारिक सब,
तोंय देखै नै छोॅ ?
अपना देशोॅ के राजनेता सिनी केॅ,
जे जनता के सेवा के नामोॅ पर चुनी केॅ
देशोॅ के सबसें बड़ोॅ पंचायतोॅ में बैठलै
आरो सेवा रोॅ बदला देशेॅ केॅ लूटी रहलोॅ छै
सेवक, मालिक बनी गेलोॅ छै
ई सच केॅ के नकारतै कि ऐकरा भीतर रोॅ कृश्ण
ऐकरा भीतर रोॅ युधिश्ठिर मरी गेलोॅ छै
आरो सौसें देश में पसरी गेलोॅ छै
एक सन्नाटा
एक चुप्पी
जेकरा में भरलोॅ छै तटस्थ होय के भाव
चुपचाप देखै के भाव
एैन्हां में तोंय
अपना भीतर के भीम आरो अर्जुन केॅ जगावोॅ
देशोॅ केॅ दुर्योधन, दुश्शासन के भ्रश्टता सें बचावोॅ
तोरोॅ ई देश शकुनी के छलोॅ सें छलनी होय रहलोॅ छौं
ऐकरा लेली हमरा व्यास होय लेॅ पड़तै,
आरो तबेॅ
कृश्ण, अर्जुन आरो युधिश्ठिर केॅ जन्मतें
.............................. देर नै लागतै।