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शंकाओं के घेरे में / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
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शंकाओं के घेरे में
डूबा वक़्त अँधेरे में
आडम्बर की शहतीरें
घर में तेरे, घर में मेरे
शक-शुबहात बसे आकर
दिल के रिक्त बसरे में
उजियारों की बात करें
हम इन घने अँधेरे में
ढूंढें कोई चिंगारी
ठण्डी राख के घेरे में
मंज़र रंगीं सपनों का
होता काश चितेरे में
चिह्न निशा के अब भी 'यक़ीन'
क्यूँ बाक़ी है सवेरे में