भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शचीन्द्र नाथ की संगिनी प्रतिभा / रणवीर सिंह दहिया
Kavita Kosh से
शचीन्द्र नाथ की संगिनी प्रतिभा नै शोक जताया था॥
राख जलूस था बड़ा भारी जो पार्क मैं आया था॥
बोली खुदीराम बोस की राख का ताबीज बनाया था
अपणे बालकां के गले मैं जनता नै वो पहनाया था
प्रतिभा नै समझाया था जनून जनता मैं छाया था॥
वा बोली राख आजाद की एक चुटकी लेवण आई
इसा क्रान्तिकारी कित पावै अंग्रेजां की भ्यां बुलाई
राख नहीं टोही पाई कुछ हिस्सा ए बच पाया था॥
आजाद इस तरियां फेर आजाद हुया संसार तै
पुलिस घबराया करै थी आजाद की एक हुंकार तै
वा बोली सरकार तै आजाद ना कदे घबराया था॥
फिरंगी का राज रणबीर ईंका खात्मा करां मिलकै
जात पात नै भुला कै आजादी खातर मरां मिलकै
शीश अपणे धरां मिलकै आजाद नै न्यों फरमाया था॥