भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्दों की हिफ़ाज़त के लिए / कुमार विकल
Kavita Kosh से
दफ़्तर और घर की,
बास और बीवी के तलुवों की
सफ़ाई करते हुए
ज़िंदगी गुज़ार देने वाला आदमी
मुझे
एक साधारण दुनियादार लगता है
जिसके खिलाफ़ मुझे कुछ नहीं कहना है
लेकिन जब वही आदमी
पूरी दुनिया साफ़ करने के लिए
दूसरों को मेहतर बनने की प्रेरणा देता है
तो वह मुझे दुनिया का सबसे अश्लील आदमी
लगता है.
शायद इसी अश्लीलता को देखकर
लोग
शब्दों से ऊबते जा रहे हैं
और मौन की आदिम गुहाओं की ओर बढ़ रहे हैं
या शब्दों की हिफ़ाज़त हथियारों से कर रहे हैं.
मुझे शब्दों की हिफ़ाज़त
अपने तरीक़े से करनी है
और पहली लड़ाई
उस आदमी के ख़िलाफ़ लड़नी है
जो शब्दों की अर्थवत्ता को तोड़ता है
और दूसरी उसके विरुद्ध
जो शब्दों की अर्थवत्ता को छोड़ता है.