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शब्दों से ढका हुआ है सब कुछ / राजेन्द्र राजन
Kavita Kosh से
मेरे मन में
नफरत और गुस्से की आग
कुंठाओं के किस्से
और ईर्ष्या का नंगा नाच है
मेरे मन में
अंधी ,महत्त्वाकांक्षाएं
और दुष्ट कल्पनाएं हैं
मेरे मन में
बहुत-से पाप
और भयानक वासना है
ईश्वर की कृपा से
बस यही एक अच्छी बात है
कि यह सब मेरी सामर्थ्य से परे है ।