भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्द और शब्द / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
Kavita Kosh से
कुछ शब्दों के लिए
रेडियो है
टी०वी० है
लोकसम्पर्क विभाग का माइक है
लोक संस्कृति विभाग है
कुछ शब्दों पर बराबर नज़र रखी जा रही है
उन शब्दों के लिए चौतरफ़ा दवाब है
शब्दख़ोरों का सामूहिक दिमाग़ है
कुछ शब्दों को गली-गली
घर-घर
पहुँचाया जा रहा है
परन्तु नंगे पाँव चलते शब्दों का
चलना भी
अवरोधित करवाया जा रहा है
कुछ शब्द
ततस्थ हैं
कुछ शब्द दोग़ले हैं
कुछ शब्द दुविधा में हैं
अपने-अपने निचोड़ में सुविधा में हैं
कुछ शब्द
दिन को दिन
रात को रात
कहने पर अड़े हैं
हर ग़लत के खिलाफ़
तर्क करते हुए
सही तरफ़ खड़े हैं.