भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्द संधान / भास्करानन्द झा भास्कर
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
मुस्कान की महक
हो जाती जब
बहुत दूर,
तब चेहरों पर,
दुश्चिन्ताओं,
तनावों की रेखाएं
खींच जाती हैं
आड़ी, तिरछी…
मनोबल,
आत्म-विश्वास
की मजबूत कवच
जब टूटती है
बहुत चुभते हैं तब
अपनों,
परायों के
शब्द संधान
मर्मभेदी व्यंग्यवाण…