भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शब्द / उमा शंकर सिंह परमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1

शब्द
भूँज दिया गया
भूख की दहकती
भट्टी में
अभिधा, लक्षणा, व्यंजना
तीनो जलकर राख
बेस्वाद हो गया अर्थ

2

शब्द
लड़ते लड़ते
थक चुका है
पुरानी क़िताबों में
दबकर सो चुका है

3

थरथराते थे हुक़्मरान
जब बेख़ौफ़ सिंह का
दहाड़ता था शब्द
राजदरबार के फर्श पर
पसरा हुआ
आज का दोगला शब्द
 
4

फुटपाथ पर
बैठा वह
भूखा आदमी
ताज़ा अख़बार में
मरे हुए किसान, बलत्कृत औरत की
ख़बर में
चटपटी नमकीन रखकर
अब शब्द बेंचने की
कला सीख चुका है