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शब्द / नरेश अग्रवाल
Kavita Kosh से
सभी के साथ सलाह मशविरा
कितनों का ही अनुभव सर आंखों पर
खून तक में उतर आता है एक अच्छी पुस्तक के प्रति प्यार
छोटे-छोटे बच्चे तक
प्यार करते हैं नयी-नयी किताबों को
वे जिल्द चढ़ाकर रखते हैं सुरक्षित सभी को
इनमें लिखी एक-एक चीज का महत्व
और उत्तर ही उत्तर मांगते हैं हर पाठ।
जो कम पढ़े- लिखे हैं
उनकी दुनिया में थोड़े से शब्द हैं
फिर भी जीवन यापन तो हो ही जाता है
मैं भी लिखता हूं हर दिन थोड़े से शब्द
जो हैं मेरी आत्मा से निकले हुए
दूसरों से आत्मीय होने के लिए
वे ढूंढ़ते हैं लोगों के बीच उनके फुर्सत के क्षण।