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शम्बूक / असंग घोष

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शम्बूक!
तुमने रामराज में
तपस्या कर
सशरीर स्वर्ग जाना चाहा
तुम्हारी यही तपस्या
सही नहीं गयी

ब्राह्मणों, क्षत्रियों व
ख़ुद राजा राम तक,
सबने षड्यन्त्र रचा और
तुम्हारा सिर धड़ पर न रहा
तुम मारे गये बेक़सूर
राजा राम के हाथों
रामराज में तब से
हत्यारा राजा राम
महिमामंडित हो
भगवान श्रीराम हो गया।