भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शम्बूक / असंग घोष
Kavita Kosh से
					
										
					
					शम्बूक!
तुमने रामराज में 
तपस्या कर
सशरीर स्वर्ग जाना चाहा
तुम्हारी यही तपस्या
सही नहीं गयी
ब्राह्मणों, क्षत्रियों व
ख़ुद राजा राम तक,
सबने षड्यन्त्र रचा और
तुम्हारा सिर धड़ पर न रहा 
तुम मारे गये बेक़सूर
राजा राम के हाथों 
रामराज में तब से 
हत्यारा राजा राम
महिमामंडित हो
भगवान श्रीराम हो गया।
	
	