भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शरणार्थी / तेनजिन त्सुंदे / अशोक पांडे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब मै पैदा हुआ
मेरे माँ ने कहा —
तुम एक शरणार्थी हो
सड़क के किनारे पैट हमारा तम्बू
बर्फ़ में ढका हुआ

तुम्हारे माथे पर
तुम्हारी भँवों के बीच
एक R खुदा हुआ है —
ऐसा कहा मेरे अध्यापक ने

मैंने उसे खुरच कर निकालना चाहा
और मैंने अपने माथे पर पाई
एक लाल दर्द की खरोंच

मैं जन्मजात शरणार्थी हूँ
मेरे पास तीन भाषाएँ हैं
गाने वाली मेरी मातृभाषा है
मेरे माथे का R
तिब्बती भाषा में इसे पढ़ते हैं

RANGZEN

रंगजेन का मतलब होता है आज़ादी

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पांडे