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शरद ऋतु ऐलै / मुकेश कुमार यादव

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शरद ऋतु ऐलै।
ओस-कुहरा-कुहासा छैलै।
निकालो रजाय।
सर्दी बड़तौ भाय।
नञ् पड़तौ देखाय।
धुंध कोहरा छाय।
गर्मी दूर भेलै।
शरद ऋतु ऐलै।
ओस से भरलो दूब।
छतो पर नञ् सुतो ख़ूब।
सर्दी बढ़ी गेलै।
शरद ऋतु ऐलै।
धान रो बाली।
लागै मतवाली।
मकई रो खेत खाली।
बजरा रो खेत खाली।
ई सब कटी गेलै।
शरद ऋतु ऐलै।
दुर्गा माय रो ध्यान धरो।
नवरात रो व्रत करो।
दिवाली-छठ रो तैयारी करो।
घाट-घाट रो सफ़ाई करो।
भक्ति-भाव समाय गेलै।
शरद ऋतु ऐलै।
रात नञ् जल्दी भागै।
सूरज देर से जागै।
सांझ जल्दी आवै।
मौसम दिन मिठाय भेलै।
शरद ऋतु ऐलै।
गैड़ा में मछली छल-मल।
नदी नञ् करै कल-कल।
गच्ची-गरै-सउर।
आँखी तर बिलाय गेलै।
शरद ऋतु आय ऐलै।
पंखा-कूलर सब बंद।
मक्खी-मच्छर नजरबंद।
मस्त-मगन-मकरचंद।
वर्षा भुलाय गेलै।
शरद ऋतु ऐलै।
सर्दी-जुकाम।
नाक-गला जाम।
बीमारी से परेशान।
मिलै नञ् त्राण।
वैद-हकीम सोहैलै।
शरद ऋतु ऐलै।
मौसम भेलै सुहाना।
गेलै वर्षा बहना।
मानो हमरो कहना।
दुल्हन रंग शर्माय गेलै।
शरद ऋतु ऐलै।