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शरमाता चाँद / शंभुनाथ तिवारी
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कई दिनों में आता चाँद,
आते ही शरमाता चाँद।
बाँसों के झुरमुट में लुक-छिप,
मंद-मंद मुसकाता चाँद।
पिछवाड़े खिड़की से छिपकर,
आँगन में घुस आता चाँद।
घर-आँगन या दूर देश हो,
नजर एक ही आता चाँद।
गली-गली में रात-रात भर,
फेरी घूम लगाता चाँद।
सफर रात का करने वालों,
का साथी बन जाता चाँद।
वादा कर वापस आने का,
अपना वचन निभाता चाँद।