शराफतों का नया ज़माना।
सभी की करता दुआ ज़माना।
हरेक को अब हुआ यकीं है
सभी की ख़ातिर खड़ा जमाना।
जिन्हें भरोसा अभी भी सच पर
उन्हीं के बल पर खिला ज़माना।
यही तो देखा गया किसी का
नहीं रहा है सदा ज़माना।
हजार तिकड़म किया उन्होंने
मगर न अब तक झुका ज़माना।
विकास पथ पर दिया जलाकर
युगों-युगों से डटा ज़माना।