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शराफत मर चुकी है / धनराज शम्भु
Kavita Kosh से
शराफत मर चुकी है अब दोस्तो
इन्सान कम हो चुके हैं अब दोस्तो
थक कर जीना तो अब आम बात हो गई दोस्तो
सच्चाई तो दफन हो चुकी है अब दोस्तो
मर-मर के हर वक्त जीना है यहां
ज़िन्दगी दब चुकी है अब दोस्तो
अपनापन का सिलसिला अब चलता कहाँ
अपने ही ग़ैर हो चुके हैं अब दोस्तो
कभी हालात से कभी खुद से लड़ते रहे
ज़िन्दगी मौत हो चुकी है अब दोस्तो ।