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शराब-ए-शौक़ से सरशार हैं हम / वली दक्कनी
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शराब-ए-शौक़ से सरशार हैं हम
कभू बेख़ुद कभी हुशियार हैं हम
दोरंगी सूँ तेरी ऐ सर्व-ए-रा'ना
कभू राज़ी कभू बेज़ार हैं हम
तिरे तस्ख़ीर करने में सिरीजन
कभी नादाँ, कभू अय्यार हैं हम
सनम तेरे नयन की आरज़ू में
कभू सालिम, कभू बीमार हैं हम
'वली' वस्ल-ओ-जुदाई सूँ सजन की
कभू सेहरा, कभू गुलज़ार हैं हम