भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शर्म और गर्व / आन्ना अख़्मातवा / राजा खुगशाल
Kavita Kosh से
शैतान ने
पता नहीं लगने दिया मुझे
अपने बारे में
लेकिन सब जानती हूँ मैं
स्पष्ट थे वहाँ उसकी ताक़त के चिह्न
मेरे सीने से खींच लो मेरा हृदय
डाल दो उसे भूखे कुत्ते के सामने
मैं और किसी काम की नहीं
अब एक भी शब्द शेष नहीं है मेरे पास
कहने के लिए
नहीं है वर्तमान
गर्व है मुझे सिर्फ़ अतीत पर
और इस शर्म से
दम घुट रहा है मेरा ।
सितम्बर 1922
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजा खुगशाल