शहतूती रास्ते की गाथा / एज़रा पाउंड / एम० एस० पटेल
शिन के ऊँचे घर को देखने
चीज़ों के आग्नेय में उदित होता है सूर्य
उनके राफ़ू नाम की बेटी है (ख़ूबसूरत लड़की)
उसने अपना नाम ज़ाहिर किया — ’पारदर्शी नक़ाब’,
वह रेशम के कीड़ों को शहतूत खिलाती है ।
उन्हें नगर की दक्षिणी दीवार पर पाती है।
हरी डोरियों से वह अपनी टोकनी का
ताना-बाना बुनती है,
काटसर<ref>एक जापानी पेड़, आभूषण बनाने के लिए जिसकी खेती की जाती है।</ref> की डालियों में
अपनी टोकनी की कन्धे की पट्टियाँ बनाती है,
सिर के बाईं ओर वेणी गूँथती है ।
उसके कर्णफूल मोती के हैं,
उसका हरा लहँगा रेशमी है,
उसकी रेशमी ओढ़नी जामुनी है,
सामने से गुज़रते लोग जब राफ़ू को देखते हैं
वे खड़े रहते और मूँछें ऐंठते हैं,
वे अपने गीत की तर्ज़ सोचते हैं ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : एम० एस० पटेल