Last modified on 1 फ़रवरी 2017, at 14:40

शहर में साँप / 20 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

साँप के देख केॅ
शेर भागे लागलै
वें कहलकै/भागे कहाँ छोहो
साँप छिकिए
आदमी नै।

अनुवाद:

साँप को देख
शेर भागने लगा
उसने कहा/भागते क्यों हो
साँप हूँ
आदमी नहीं हूँ।