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शहर में साँप / 28 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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साँप/दोस्ती में
आदमी लेली
मैर मिटै छै
किन्तु/आदमी केॅ ओकरा से
जुदा होय केॅ
कोनो गम नै होय छै।
अनुवाद:
साँप/दोस्ती में
आदमी के लिए
मर मिटता है।
किन्तु/आदमी को उससे
जुदा होने का
कोई गम नहीं होता।